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* * * | और शिष्टाचार के खोखलेपन को बेहद हौंसला देना यह तो बड़ा मुश्किल काम है करीने से रेखांकित करती है राजेश झरपुरे की भाई। अंतिम सत्य यह है कि हिंदी लेखन में |सशक्त कहानी नंबर प्लेट'। मेंटोर नहीं होते, यहाँ तो मठ होते हैं। और समृद्ध लेखन के धनी प्राण शर्मा के हर मठाधीश चाहता है कि सारे नए लोग व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित, उषा राजे केवल और केवल बस इसी बात पर विमर्श से केवल और केवल बस इसी बात पर विमर्श सक्सेना द्वारा लिखा गया आलेख बेहद करें कि उसने क्या लिखा।'' जीवंत और प्रभावी है। कुल मिलाकर हिंदी साहित्य की तमाम कैनेडा के सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार विधाओं को अपने अंतस में संजोए बेहतरीन सुमन घई से सुधा ओम ढींगरा की बातचीत त्रैमासिक पत्रिका 'विभोम-स्वर' नई पीढी एक संग्रहणीय दस्तावेज है। मुद्रित के कलमकारों पाठकों के समक्ष मील का पत्रिकाओं के बारे में पूछे गए सवाल के पत्थर साबित होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। जवाब में उन्होंने कहा इंटरनेट एक बहुत मेरी तमाम शुभकामनाएँ पत्रिका परिवार को शक्तिशाली माध्यम है। साहित्य को संप्रेषित है। वैश्विक स्तर पर उपलब्ध कराने का इससे |कारगर और सस्ता माध्यम कोई नहीं। इस कारण से मुद्रित पत्रिकाएँ सीमित तो हो उच्चस्तरीय एवं सराहनीय जाएँगी परंतु बंद नहीं हो सकतीं। क्योंकि आपने ''विभोम स्वर'' में मेरी रचनाओं अतीत से जुड़े रहने का रोमांस एक को स्थान दिया एवं डाक द्वारा मझे पत्रिका शक्तिशाली अनुभूति होती है। मुद्रित प्रेषित की, इसके लिए आपकी हृदय से पत्रिकाएँ इसी रोमांस का भाग बनी रहेंगी। आभारी हूँ। हिन्दी को वैश्विक मंच प्रदान यह बात पश्चिमी देशों में पत्रिकाओं के करने की दिशा में आपका और आपकी प्रकाशन की अवस्था और परिस्थिति को पत्रिका का प्रयास निस्संदेह उच्चस्तरीय एवं तपणाप नियंरेट उप्तरीय पतं देखते हुए यह कह रहा हूँ कि ई रीडर या सराहनीय है। आशा है भविष्य में भी टैबलेट पर मुद्रित पत्रिकाओं के संस्करण आपका प्रोत्साहन यूँ ही मिलता रहेगा। मुद्रित संस्करणों के समांतर प्रकाशित होते -प्रीति पांडेय रहेंगे और बिकते रहेंगे। आख़िरी पन्ना कॉलम में वरिष्ठ कलमकार पंकज सुबीर वर्तमान लेखन,पठन सृजनात्मक सफलतम प्रयास पाठन और पुस्तक आदान प्रदान का बड़ा शिवना साहित्यिकी अक्टूबर, दिसंबर, रबर दिसंबर, रोचक दृश्य खींचा है। वो लिखते हैं कि 18 अंक प्राप्त हुआ। मुखपृष्ठ पर परवीन । 'लेखक अ जब लेखक ब को अपनी शाकिर की रचना, प्रभावी रचना, आँख नम पुस्तक भेजता है पढ़ने हेतु तो वह यह भूल कर गई। आपका सम्पादकीय आज के |जाता है कि लेखक ब ने भी उसे अपनी खोखले आदर्श वालों पर करारा तमाचा है। पुस्तक भेजी थी कभी । वास्तव में हिंदी का पुस्तक समीक्षाओं को प्रकाशित कर आपने लेखक इन दिनों बहुत डरा हुआ है उसे लग ग़ज़ब कार्य कर दिया है. हर युग के मनष्य रहा है कि वह और उस की रचनाएँ कहीं और उसके सरोकारों को समझना ही साहित्य अपठित न जाए। इसीलिए दिन-रात लिख है और आपका यह अंक (समीक्षा अंक) रहा है कि कहीं ना कहीं, कोई ना कोई कुछ साहित्य की परीक्षा परम्परा को कायम रखने न कुछ तो पढेगा ही उसका लिखा हुआ। का, रचनाकारों को आईना दिखाने का । इसी दिन रात लिखने के चक्कर में लेखक सृजनात्मक सफलतम प्रयास है। मनुष्य और के पास समय ही कहाँ बचता है कि दूसरों उसके संबंधों को व्यापक परिप्रेक्ष्य में का लिखा पढे और यह भी तो है कि दूसरे अभिव्यक्त करती इन कतियों को आकलित आख़िर लिख ही क्यों रहे हैं? वह लिख तो करता, उनका सही मूल्यांकन करता, यह रहा है सभी के हिस्से का।'' अंक चिर संग्रहणीय बन पड़ा है। हार्दिक वे आगे लिखते हैं - "अपने पूर्व के बधाइयाँलेखकों और साथ के लिए पढ़ने का समय -संतोष सुपेकर उज्जैन (म.प्र.) । नहीं, अपने बाद वालों को पढ़ना और उन्हें 7


 


विभोम-२२ जनवरी-मार्च 2019 * * * * * *